Liv 52 Syrup Uses In Hindi सिरप लिव 52 हिमालय ड्रग कंपनी द्वारा निर्मित एक सिरप है। इसका निदान या उपचार आमतौर पर पीलिया के के लिए प्रयोग किया जाता है, यकृत क्षति, भूख, पाचन, वायरल हेपेटाइटिस में सुधार काफी ज्यादा करता है। इस सिरप के कुछ दुष्प्रभाव भी हैं, जैसे चक्कर का आना, एलर्जी की प्रतिक्रिया, मलाशय से खून का बहना, वजन का बढ़ना। एकिलिया मिलेफोलियम 8 मिलीग्राम, सिकोरियम इंटीबस 34 मिलीग्राम,साल्ट कैपेरिस स्पिनोसा 34 मिलीग्राम, टर्मिनलिया अर्जुन 16 मिलीग्राम, सोलेनम नाइग्रम 16 मिलीग्राम, कैसिया ऑक्सिडेंटलिस 8 मिलीग्राम, टैमेरिक्स गैलिका 8 मिलीग्राम/5 एमएल। सिरप लिव 52 की तैयारी में शामिल हैं।हिमालय लिव 52 सिराप प्रीमियम सप्लीमेंट और लिवर टॉनिक है जो एक्यूट लिवर फेलियर के खिलाफ उपचार की सबसे प्रभावी दवाओं में से एक है। यह लिवर टॉनिक जो कि एक सिरप के रूप में आता है, जो भोजन को पचाने में आसान होता है, और इसलिए इसका सिरप का सेवन बच्चों, वयस्कों और जवान नागरिकों तीनों द्वारा किया जा सकता है। हिमालय के इसलिव 52 लिवर टॉनिक में आवश्यक हेपेटोप्रोटेक्टिव तत्व होते हैं जो हमारे शरीर में लिवर को व्यापक सुरक्षा प्रदान करने में सहायता करते हैं। यदि कम उम्र में ही इस सिरप इसका सेवन किया जाता है, तो यह काफी समय के बाद के चरणों में भी बीमारियों के खिलाफ लीवर के रक्षा तंत्र को बढ़ाने में सायाहता प्रदान कर सकता है।
लिव 52 सिरप कब निर्धारित किया जाता है?
पीलिया
भूख में सुधार करता है
पाचन
यकृत को होने वाले नुकसान
वायरल हेपेटाइटिस
सिरप लिव 52 के दुष्प्रभाव क्या हैं ?
चक्कर का आना
एलर्जी की प्रतिक्रिया
मलाशय से रक्तस्राव
वजन बढ़ना
लिव 52 सिरप का उपयोग
उपयोग करने से पहले नजदीकी डाक्टर से सलाह जरूर लें। उत्पाद का उपयोग यकृत विकारों से पीड़ित रोगियों की रिकवरी में सहायता के लिए किया जाता है।
उन बच्चों के लिवर को मजबूत करने के लिए भी इस दवा का उपयोग किया जाता है जो लिवर या पाचन तंत्र से संबंधित बीमारियों से पीड़ित हैं।
यह दवा लिव 52 का उपयोग यकृत और प्लीहा के स्वस्थ कामकाज को सुनिश्चित करने के लिए भी किया जाता है।
लिव 52 सिरप का दुष्प्रभाव
यह दुष्प्रभावों की विस्तृत सूची नहीं है। यदि आप दवा के प्रतिकूल प्रतिक्रिया का अनुभव करते हैं तो कृपया अपने डॉक्टर को सूचित करें।
लिव 52 सिरप के फ़ायदे
Himalaya Liv 52 सीरफ में हेपेटोप्रोटेक्टिव तत्व जैसे कि कासनी और केपर बुश होते हैं, जो लिवर में पीलिया जैसी बीमारियों के इलाज में काफी ज्यादा मदद कर सकते हैं।
इस लिवर टॉनिक लिव 52 में अन्य जरूरी प्राकृतिक तत्व भोजन पाचन प्रक्रियाओं को बेहतर बनाने में सायायक होते हैं। और साथ ही साथ शरीर में पोषक तत्वों को बढ़ाने में सहायता होते हैं।
जिगर के अच्छे कामकाज को बनाए रखने में मदद करता है। यह अवास्थ दुबले-पतले लोगों के लिए स्वस्थ और वजन बढ़ाने को बढ़ावा देने का एक तरीका भी प्रदान करता है।
इस लिवर लिव 52 टॉनिक के प्रमुख लाभों में से एक यह भी है, कि यह शुरुआत को रोकने के साथ-साथ वायरल हेपेटाइटिस, अल्कोहलिक लीवर के रोग और लीवर की क्षति जैसी बीमारियों के ठीक होने में मदद करता है।
हिमालय लिव 52 एक सामान्य स्वास्थ्य दवा है जो लंबे समय तक यह शारीरिक बीमारियां और बीमारियों के समय शरीर को फिर से जीवंत करने में सहायता करता है।
हिमालय का यह लिवर टॉनिक एएलटी और एएसटी के एंजाइम उत्पाद स्तर को कम करके काम करता है जो लिवर में उत्पन्न होते रहते हैं।
इस हेल्थ टॉनिक में मौजूद हिमसरा अर्क में फ्लेवोनॉयड्स होते हैं जिनमें एंटीऑक्सीडेंट गुण होते हैं जो शरीर को शुद्ध करने में भी मदद करते हैं।
लिव 52 सिरप के लिए सामग्री
कैपर बुश (हिमसरा) या कैपेरिस स्पिनोसा
चिकोरी (कासनी) या सिकोरियम इंटिबस
काकामाची या सोलनम नाइग्रम
अर्जुन या टर्मिनेलिया अर्जुन
कैसे इस्तेमाल करे
इस दवा स्वास्थ्य टॉनिक का सेवन डॉक्टर के निर्देश पर करना जरूरी है।
सुरक्षा जानकारी
ठंडी और सूखी जगह पर इस दवा को स्टोर करें जो सीधे गर्मी और धूप से दूर हो।
बच्चों की पहुंच से दूर रखें।
यह देखने के लिए कि दवा समाप्ति तिथि के अंदर है, या नहीं, सेवन करने से पहले हमेशा लेबल को अच्छी तरह से जांचें।
पूछे जाने वाले सामान्य प्रश्न
Q1: क्या मुझे इसे खरीदने के लिए नुस्खे की आवश्यकता है?
Ans: नहीं, लेकिन यह सलाह दी जा सकती है, कि आप इसे लेने से पहले डॉक्टर से सलाह जरूर लें।
Q2: क्या यह प्रभावी रूप से लीवर की क्षति का इलाज कर सकता है?
Ans: यह दवा लीवर में हुए नुकसान का अपने आप इलाज नहीं कर सकता है लेकिन उस ठीक करने की प्रक्रिया में मदद कर सकता है।
Q3: क्या गर्भवती महिलाएं इसे ले सकती हैं?
Ans: हां, लेकिन हमेशा डॉक्टर के कहे अनुसार में।
Q4: क्या स्तनपान कराने वाली माताएं इसे ले सकती हैं?
उत्तर: हां, क्योंकि ये एंजाइम मां के दूध में आ जा नहीं पाते हैं।